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सावन लगता सबको प्यारा

आज दिनांक ६.७.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर मेरी प्रस्तुति:
सावन लगता सबको प्यारा :
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सावन का है महीना आया दिन मे हो जाता अंधियारा,,
घुमड़ घुमड़ कर बादल आते सावन लगता सबको प्यारा ।

कहीं पक रहे आम पेड़ पर कहीं जमुनवा टपक रहे,
फूल रहे हैं फूल हर तरफ़, चारों ओर हैं महक रहे।

कितने उत्सव,पूजा के दिन सावन मास मे आते हैं,
सावन के सोमवार को घर घर शिव जी पूजे जाते हैं।

सावन पूर्णिमा को आता है भाई -बहन का त्योहार,
भाई को दीर्घ उम्र का टीका करतीं हैं बहनें व्यवहार।

भाई भी बहनों की रक्षा का देता है वचन उनको,
और सांकेतिक रूप मे देता है कुछ धन उनको।

झम झम झम झम बारिश बरसे ताल-तलैया भरते हैं, पशु-पक्षी की पानी पीने का ये अनुपम साधन बनते हैं।

प्यासी धरती पुकार रही थी ओ रे मेघा पानी दे,
धरती की प्यास बुझा कर के , धान की फ़सल लहलहाने दे।

कृषक गण ख़ुश हो हल-बैल ले कर सब खेतों को जाते हैं,
धान-बाजरा आदि अनाज बोने को प्रसन्न हो आते हैं।

महिलाएं -बालक सब मिलकर बाग मे झूला झूल रहे,
कोई तो गावे कजरी झूले पर ,कोई भर भर आंसू रोय रहे।

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

07-Jul-2023 09:03 AM

बहुत खूब

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बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Reena yadav

06-Jul-2023 07:40 PM

👍👍

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